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डेरा बाबा मुराद शाह संचालन ट्रस्ट विवाद, गरीब लौटे खाली हाथ, चेयरमैन पर लाखों वारे

विश्व विख्यात डेरा बाबा मुराद शाह के संचालन ट्रस्ट में मतभेद हैरतअंगेज खुलासे कर रहा है। आंतरिक सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि करोड़ों रुपए चढ़ावे वाले इस श्रद्धा केन्द्ग के संचालक पब्लिक मनी का धड़ल्ले से दुरुपयोग व निरादर करते थे जिससे विवाद ज्यादा गहराया है। सबसे चौंका देने वाला आरोप यह सामने आया है कि लोगों को अपने गीतों में हक्क दी रोटी खाने का संदेश देने वाले पंजाबी सिंगर गुरदास मान खुद ट्रस्ट दी रोटी खाते आ रहे हैं अर्थात वह ट्रस्ट के चेयरमैन है और ट्रस्ट खाते से लाखों रुपए के वारने उन पर ही किए जाने का आरोप है। आरोप यह भी है कि पब्लिक की श्रद्धाभाव के साथ चढ़ाई राशि का वारने के रूप में दुरुपयोग व पैरों में गिराकर निरादर भी उनकी आंखों के सामने होता है और ऐसा वह खुद करवाते हैं क्योंकि वह खुद ही डेरा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं। डेरे की एक वीडियो जो सार्वजनिक हुई है, में गुरदास मान पर डेरा ट्रस्ट के सदस्य लिफाफे भरकर 5००-5०० के नोट वारते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, वह उनकी अपनी मेहनत की कमाई नहीं बल्कि डेरा कोष से जारी राशि है, जो सरासर चढ़ावा राशि का दुरुपयोग है क्योंकि ट्रस्ट खातों में इनकी एंट्रीयां वारने के रूप में दर्ज की गई है जिसकी जानकारी मिलने के बाद से जीवन प्रकाश उर्फ पाशी ग्रुप लगातार विरोध दर्ज करवा रहा है और खातों को सार्वजनिक करवाने पर अड़ा है।
वहीं, निरादर ऐसे कि उन नोटों पर भारतीय संप्रभुता के प्रतीक चिन्ह अंकित होते है तथा परम पूज्य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चित्र भी छपा होता है, को जब वारा जाता है, तो वह पैरों में गिरते है। इससे उनका निरादर होता है जिसको करने की इजाजत भारतीय कानून कतई नहीं देता। आरबीआई की ओर से इस बारे स्पष्ट गाइडलाइन भी इशू है। मगर शर्म की बात है कि ट्रस्ट सदस्यों को न तो ट्रस्ट राशि के दुरुपयोग की चिंता है और न ही राष्ट्रपिता व भारतीय संप्रभुता के प्रतीक चिन्हों के अपमान का। परिणाम डेरे पर राहत की उम्मीद लेकर आने वाले मरीजों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है जबकि गायक लोग वहां से अपनी झोली भर-भर ले जा रहे हैं। अकेले जालंधर में ही जितने कैंसर के मरीज है, उनका इलाज इस चढ़ावा राशि के 1० प्रतिशत राशि से हो सकता है। मगर कब्जा जमाए बैठे लोग गरीबों की मदद करना तो दूर ट्रस्ट का हिसाब देने को तैयार नहीं है। बागी ग्रुप को एक पुलिस अफसर की डेरे में कथित दखलअंदाजी पर भी ऐतराज है। आरोप है कि शातिर किस्म का वह अफसर हिसाब मांगने वालों को झूठे केस में फंसाने की धमकियां देता है। वहीं, चेयरमैन गुरदास मान जो कभी डेरे के कामकाज में दिलचस्पी ही नहीं लेते बल्कि उनकी पत्नी मंजीत मान पर अकेले आप्रेशन करने का आरोप है, पक्ष देने तक के लिए उपलब्ध नहीं हो रहे बल्कि सैक्रेटरी सोनू ढेसी से बात करने का बोल रहे हैं। मगर आरोप इतने संगीन है जिन पर गुरदास मान जैसी शख्सियत को पक्ष देना चाहिए।
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बेनतीजा रही शांति वार्ता
डेरा संचालकों के मध्य पनपे विवाद का हल निकालने के लिए एक अन्य पीर-फकीर ने गत दिवस दोनों गुटों के मध्य शांतिवार्ता का आयोजन किया। सूत्रों के मुताबिक वार्ता में विफल रही क्योंकि ट्रस्ट सदस्य हिसाब देने को तैयार नहीं है।


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खुद जज भी लुटाते हैं चेयरमैन पर करंसी
भारतीय कानून चाहे इस बात की इजाजत नहीं देता लेकिन बावजूद इसके डेरे के चेयरमैन गुरदास मान पर ट्रस्ट सदस्य लाखों के करंसी नोट लुटाते हैं। कानून के अनुपालक पुलिस अफसर ताली बजाकर इसको प्रोत्साहित करते हैं। और तो और गैरकानूनी कृत्य का संज्ञान लेने वाले जज खुद भी इस असंवैधानिक कृत्य को अपने कर कमलों से अंजाम देते हैं।
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सवालों के जबाव टाल गए सैक्रेटरी सोनू ढेसी
डेरे की लाखों की माया गायकों पर वारने के सवाल को डेरे के सैक्रेटरी एवं कांग्रेस नेता सोनू ढेसी मिलकर बात करने का बोल कर टाल गए। ढेसी इतना जबाव भी नहीं दे पाए कि डेरे की माया के वारने गायकों पर किए जाते हैं कि नही। ढेसी का सवालों के जबाव से भागना अप्रत्यक्ष प्रमाण है कि ट्रस्ट के खातों में से गायकों पर लाखों के वारने किए जाते है जिसकी वह पुष्टि नहीं करना चाहते।
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